Friday 31 May 2013

लोक से परलोक तक सब फिक्स है


बड्डे बोले- बड़े भाई देश में इनदिनों बयार चल पड़ी है कि क्रिकेट से लेकर राजनीति, हिंसा/ हत्या, महंगाई, घपले- घोटाले जैसी हर गतिविधि फिक्स है और यह फिक्सिंग आज के दौर की नहीं, सनातन है। पुराणों में कथाएं आती हैं कि देवताओं ने राक्षसों को 'अमरत्व के आशीर्वाद' के साथ उनको निपटाने के तौर-तरीके भी फिक्स कर दिए थे। भोले बाबा ने रावण की भक्ति पर प्रसन्न हो अजर-अमर रहने का आशीर्वाद दे ही दिया था लेकिन ब्रम्ह जी ने बीच में भांजी मारते हुए कहा कि मृत्युलोक में मृत्यु शाश्वत है और ऐसा आशीर्वाद संविधान विरुद्ध है।
रावण ने सोचा कि मनुष्य और वानर तो मेरे आहार हैं सो मांगा कि इन्हें छोड़ मुङो कोई न मार सके। और फिर तो तुम्हें पता है ही बड्डे कि कैसे सारे देवताओं ने मनुष्य और वानर के रूप में अवतरित हो रावण को निपटाया था। कृष्ण ने भी बार-बार कहा तुम सिर्फ कर्म करो बाकी सब फिक्स है। उन्होंने जयद्रथ को दिन में अंधेरा कर 'फूल' बनाया और फिर पहले से फिक्स तरीके से निपटवा दिया। यों तो बड्डे जन्मजात हम इस 'फैक्ट' से रू-ब-रू रहते हैं कि जन्म के साथ हमारी मौत की तिथि भी यमलोक के कैलेन्डर में फिक्स है।
लेकिन कलयुग में मौंतें अब यमलोक की फिक्स तारीखों को मात दे रही हैं। बड्डे अब धरती पर कुछ खास लोग अच्छे-अच्छों की मौत फिक्स कर रहे हैं।
हालिया नक्सल हमले को लेकर फुसफुसाहट है कि कांग्रेसियों में आस्तीन के सांपों ने परिवर्तन यात्रा का 'रूट' ऐसा परिवर्तित कराया किकारवां गुजर गया और वे गुबार देखते रहे। कुछ भी हो लेकिन, ऐसी आसमयिक हत्याओं से यमलोक में 'कनफ्यूजन क्रियेट' हो रहा है कि मृत्युलोक के लोग यमलोक की व्यवस्था का अतिक्रमण कर रहे हैं, यानी जिनका समय ऊपर से फिक्स है, उसे नीचे के लोग पहले ही निपटाये दे रहे हैं। हमारी जेलों की तरह यमलोक भी 'ओवर क्राउडेड' है। यमराज ने बम्ह जी से जांच आयोग बैठाने का निवेदन किया होगा। जांच आयोग तो मृत्युलोक में भी बैठते हैं और बैठेंगे लेकिन सब फिक्स हैं। जैसे सरकारों में नौकरशाहों की ट्रांसफर, पोस्टिंग, नियुक्तियों में लोगों के नाम ऑलमोस्ट फिक्स रहते हैं। चाहे अफसर ने बेहतर काम किया हो, मगर नेताओं की लल्लो-चप्पो न की हो, तो लूप लाईन फिक्स है। इंटरव्यू और कॉम्पटीशन एग्जामों में प्रतियोगी पढ़-पढ़ कर आंखें फोड़े डाल रहे हैं, मगर चयन सूची जुगाड़ टेक्नॉलाजी के जरिए फिक्स रहती है। खेलों में टीमें पहले से फिक्स रहती हैं। और तो और जिस मीडिया पर हम यकीन कर जो देखते-पढ़ते, समझते-बूझते हैं, वे खबरें भी फिक्स हो जाती हैं। तो बड्डे कहां तक इस फिक्सिंग पर चिल्लपों करोगे।

Sunday 26 May 2013

फोर्ब्स की लिस्ट भी फिक्स है.!!

बड्डे ने फि¨क्सग की खबरों के बीच ध्यान दिलाया कि बड़े भाई सोनिया गांधी दुनिया शीर्ष दस दमदार महिलाओं में शुमार हैं। टॉप में रहने के लिए जिन तत्वों की जरूरत है वह उनमें भरपूर है।
जिसकी आपूर्ति उनके दल के कारिंदे अंधभक्ति से भरपूर करते रहते हैं। वे तो बेचारे गडकरी थे, जो अपने साथियों से असहयोग की 'आपूर्ति' में निपट गए।
लेकिन भाजपाई इस मेरिट लिस्ट को लेकर शंका आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि क्रिकेट की तरह यह लिस्ट भी फिक्स है। वरना वर्मा की आंग सान सू की जिन्होंने अपना जीवन देश में डेमोक्रेसी के बरक्स होम कर दिया वे टॉप टेन से नदारत हैं। अपनी सुषमा स्वराज क्या कम कमजोर महिला हैं, जो उन्हें एकतरफा दरकिनार कर दिया गया। मायावती दलितों की उद्धारक बनकर निर्वाचित तरीके से तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहीं हैं। एक भाजपाई ने तो डाउट व्यक्त किया कि हो ना हो सोनिया पिछले वर्ष कई बार रहस्यमय अंदाज में, इलाज के आड़ में अमेरिका गईं जहां से फोर्ब्स पत्रिका भी प्रकाशित होती है और फिर पेड न्यूज से कोई भी मीडिया अछूता नहीं बड्डे।
बहरहाल, कुछ भी हो बड्डे पर अब कांग्रेस, भाजपा को दम दे सकती है कि हमारा नेता 'इंटरनेशनल टाईप' का है और तुम्हारा एक 'स्टेट टाईप' का।
दरअसल 'इनटरनली कांग्रेस इज वेरी डिसीप्लेन पार्टी एंड बीजेपी इज ओनली एक्सटरनली डिसीप्लेन पार्टी।' इसलिए भाजपा की कोई नेत्री फोर्ब्स जैसी पत्रिका में अंडर टेन में दखल नहीं दे पायी। 'एक्चुअली' बड्डे विदेशी जुबां और मीडिया जो कह दे वह देश-दुनिया के लिए किसी देववाणी से कमतर नहीं। फोर्ब्स पत्रिका की लिस्ट में दो महिलाएं मिशेल ओबामा और सोनिया गांधी इसलिए शामिल हैं कि एक राष्ट्रपति की पत्‍नी हैं तो दूसरी इसलिए कि वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बनाने का माद्दा रखती हैं। विदेशी मीडिया ने अपने प्रधानमंत्री को सोनिया का गुड्डा तक कह दिया था, लेकिन मनमोहन की किंचित मानहानि नहीं हुई, उल्टे उनका मौन इस सूत्र वाक्य को पुष्ट करता रहा कि 'मौनं स्वीकृतम लक्षणं'। अरे बड्डे ये मानहानि नहीं यह तो मेरिट है कि जो जितना बड़ा गुड्डा साबित होगा वह उतनी लम्बी पारी प्रधान पद की खेल सकेगा। मगर देश के सांसद लोकतंत्र के इस मंत्र को भांप न पाये कि चुप्प्प्प्प्पी के साथ निष्ठा और बेशर्मी का 'कॉम्बीनेशन' हर 'एम्बीशन' को मुकम्मल कर सकता है। इसलिए इस सूची में संशोधन कर उन्हें टॉप पर रखना चाहिए था, क्योंकि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अपाईंट करा देने का माद्दा सोनिया के सिवा दुनिया में किसी महिला में नहीं। मगर बीजेपी के कुनबे में फुस्फुसाहट है कि फोर्ब्स की लिस्ट भी फिक्स है।