Thursday, 29 November 2012

हमीं ने दर्द दिया है हमीं दवा देंगे



बड्डे बोले- जैसई-जैसई चुनाव का चुनचुना नेताओं खासकर यूपीए को काटने लगा है, उसकी घोषणाएं चुनावी राजनीतिक धर्म के माफिक होती जा रही हैं। हमने कहा बड्डे तुम बोका हो !
क्यों न हों जब मौका भी है, दस्तूर भी और जरूरत भी है, तो इसे कैश क्यों न किया जाय। जब निकटतम प्रतिद्वन्दी भाजपा गृह कलह के भंवर में डूब उतरा रही हो, तब इसका बेनीफिट क्यों न उठाया जाए। मौके की नब्ज और नजाकत को रीड करने में कांग्रेस से कुशल कारीगर और कौन हो सकता है। तभी तो भीषण टाइप के घपलों के बाद भी वह सत्ता में वर्षो से जमी रही है। इसीलिए उसका कॉनफिडेंस भी है कि वह पुन: वापसी कर लेगी। क्योंकि वह कोई भी काम गैर-योजनागत नहीं करती। सब कुछ योजनबद्ध है, फिट है और टिच्च है। चुनाव तैनाती की कड़ी में टीम को टाईट कर दिया गया है। पहला मरहम जनता के किचन में यह कहकर लगाया जा सकता है कि "हमीं ने दर्द दिया है हमीं दवा देंगे"। गैस सिलेंडर की सब्सिडी का गेम अब खुलकर आने लगा है। मींटिगों, प्रस्तावों के जरिए पसीना बहा- बहा के यह जताने कि कोशिशें तेज हो चुकीं हैं कि सरकार को इसके लिए 18 हजार करोड़ का बोझ ङोलना होगा, तो वह ङोलेगी। तेल कंपनियों के ठेकेदारों को समझ-बुझ के राइट कर दिया गया है कि चुनाव होने तक घाटे की बड़बड़ नहीं, क्योंकि अब जनता चुनाव तक "बोझ" नहीं जरूरी ऑक्सीजन है, जान है, जाने जहान है।
एक खुशी सारे गमों का गलत कर देती है।
इसलिए अब एक-एक करके खुशियों कई लच्छे फेंके जा रहे हैं। मसलन मनरेगा से मनमानी हटेगी, आम आदमी का पैसा उनकी जेब में सीधे डाला जाएगा ताकि वह तरंग में रहे और अपना वोट भी कैश की तरह सीधे यूपीए के नाम डाल दे। गेम सीधा है। यानी "राहत" है ऑल क्लियर बाकी सब बकवास। आम आदमी और सरकार कमिंग डेज में खुलेआम इस लेन-देन में इनवाल्व होती दिखेगी।
उधर केजरीवाल की" आम आदमी की पार्टी" कांग्रेस के लिए मल्टीविटामिन की गोली साबित हो रही है। क्योंकि कुछ अक्खड़ टाइप के लोग जो "राहत" के जाल में नहीं फंसते वे अपनी लोकतंत्रीय ताकत "वोट"को अलग-अलग दलों में ठप्पा लगाने के तुर्रा  में ठिकाने लग जाएंगे। यानी उसके खिलाफ गुस्सा फुस्स होकर बिखर कर जाएगा। इसलिए यूपीए जनता के समस्त संतापों को हर कर यह अहसास कराने में जुट चुकी है कि गर इस देश में कोई माई-बाप था, है और रहेगा, तो वह कांग्रेस और उसके कारिंदे हैं। "अंत भला तो सब भला" जैसी कहावतें गर बनी हैं तो ऐसे मौकों की तलाश में गढ़ी गई होगी। तो बड्डे कांग्रेस को वोट देने के कैश फायदे ही कई दर्दो की दवा है।
 श्रीश पांडेय

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