Wednesday, 19 September 2012

डार्विन की डगर पर सरकार



  सबेरे-सबेरे लकड़ी बेचने वाली महिलाओं के पास बड्डे को गचर-पचर करते देख हम पूछ बैठे कि आज जलाऊ लकड़ी पर मोल भाव... इन्हें कहां जलाओगे, ढ़ाबा खोलोगे या गांव में जा बसोगे। बस फिर क्या था गैस की बढ़ी कीमतों पर  मन में जो गुस्सा मनमोहन सरकार पर था, वह लकड़ी वाली बाई से होता हुआ हम पर बरस पड़ा... बोले समझ लो मरने और खुद जलाने के लिए चिता की लकड़ियन का इंतजाम कर रहे हैं। राशन के रॉ मटेरियल को खरीदते-जुगाड़ते जिंदगी बिखरी जा रही है और अब उसे पकाने के लिए गैस सिलेंडर 800 रुपइया में मिलेगा। बड़े भाई कहां जाएगी यह सरकार इतने पाप करके। कहीं ठौर नहीं मिलेगी इस नासपीटी,करमजली को और न जाने कितने विशेषण अपने मुखाग्र से निकाले कि जो लिखे भी न जा सके। सरकार आम आदमी  को सीधे-सीधे मरने को क्यों नहीं कह देती। हमने कहा बड्डे आखिर लोकतंत्र है उसका भी कुछ लिहाज-लिहाफ होता है। सरकार तो बस इशारों में समझा रही है कि डार्विन की थ्योरी ‘सरवाईवल आॅफ द फिटेस्ट’ के मर्म को समझो कि जो आज की महंगाई में जो फिट है वही हिट है और उसी को जीने का अधिकार है। जंगल की भी यही स्थिति है ‘सिंह’ जो चाहे करे, खुद को जो बचा सके वही सरवाईव करे। इसलिए हाथी जैसे बेपरवाह बनो क्योंकि शेर उस हमला नहीं करता। हिरण, नीलगाय (आम जनता) बने तो कैसे सरवाईव करोगे। ऐसे में सरकार भी जंगली बन जाए तो गलत कहां है बड्डे। वह नेचर के नियम को फालोअप  ही तो कर रही है। अब देखो जो हाथी की स्थिति में हैं जैसे नेता से लेकर अफसर तक, चोर से लेकर डाकू तक, कालाबाजारियों से मुनाफाखोरों तक सब के सब सरवाईव करने के लिए कितने फिट हैं। महंगाई डायन उन्हीं के लिए जो आम हैं। खास के लिए तो विकास की सूचना। बच्चों को अच्छी ऐजुकेशन देना है तो पब्लिक स्कूल में अपनी जेब कटाओ, नहीं तो ‘मिड डे मील’ में पहले खिलाओ-पढ़ाओ और फिर ‘मनरेगा’ में खाओ-कमाओ। गैस  महंगी है तो कच्चा खाओ, बीमार हो जाओ तो सरकारी अस्पतालों में सड़ो, महंगाई है तो भूखे प्राण त्याग दो। और बड्डे तुम हो कि लोककल्याण के नाम पर सरकारी दामाद बनने की तमन्ना कर बैठे हो। पांच बरस में एक मुफ़त का वोट वो भी सरकारी स्टेशनरी पर और नेताओं की गाड़ी में बैठ कर क्या डाल दिया तो मुगालता पाल बैठे कि तुमने सरकार खरीद ली। सरकार बखूबी समझती-बूझती है वह जनता को इतने हिस्सों में बांट चुकी है  कि कि देश में उनका विरोध ज्वाइंट तौर कोई ‘माई का लाल’ नहीं कर सकता। इसलिए सरवाईव करने के डार्विन के मंत्र को समझो क्योंकि अब वही सरवाईव करेंगे जो डार्विन की डगर चलेंगे।    
         

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